आख़िर क्यू कई बार, बात जबां पे आके रुक जाती है, आख़िर क्यू कुछ कही – अनकही यादें, मन को इतना विचलित कर जाती है,... Read More
Vinay Singh

जब सूरज की पहली किरणें, गालों को सहलाती हैं, हम क्या बताएँ हाले दिल, तब याद तुम्हारी आती है|| जब हवा का इक ठंढा झोका,... Read More
कुछ अलग सा लगने लगा हु खुद को आजकल, जाने ऐसा क्या है जो खुद मन को भाता नहीं। माना कुछ हुआ है, पर क्या... Read More