होंट खुले पर मुख के नहीं आवाज (ना के बराबर ) निकली पर कंठ से नहीं हुआ वातावरण मुग्ध शकुनि रहा चुप मंदी थी या... Read More
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जब सूरज की पहली किरणें, गालों को सहलाती हैं, हम क्या बताएँ हाले दिल, तब याद तुम्हारी आती है|| जब हवा का इक ठंढा झोका,... Read More
कुछ अलग सा लगने लगा हु खुद को आजकल, जाने ऐसा क्या है जो खुद मन को भाता नहीं। माना कुछ हुआ है, पर क्या... Read More