Fart And Nationalism
होंट खुले पर मुख के नहीं
आवाज (ना के बराबर ) निकली पर
कंठ से नहीं
हुआ वातावरण मुग्ध
शकुनि रहा चुप
मंदी थी या अकलमंदी
नन्दी थी या बंदी
हुई तू-तू मैं-मैं
ठहाको में निकला दम
हम किससे कम
जीत हुई पर भारत की नहीं
झंडा लहराया पर देश का नहीं
हुआ वातावरण मुग्ध
अपतटीय रहा चुप
मंदी थी या अकलमंदी
जलन थी की पलन
हुई तू-तू मैं-मैं
जीवन से निकला दम – दोनों ही
तरफ
कौन किससे कम
– Abhijeet Kumar