याद तुम्हारी आती है
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जब सूरज की पहली किरणें,
गालों को सहलाती हैं,
हम क्या बताएँ हाले दिल,
तब याद तुम्हारी आती है||
जब हवा का इक ठंढा झोका,
माथे से टकराता है,
वो भी कम्बख़त हमें,
स्पर्श तेरा दे जाता है||
जब बारिश की पहली बूँदें,
तन को छू कर जाती हैं,
वो क्या जाने नादान सी,
बस याद तेरी दे जाती है ||
जब ढलते सूरज की लालिमा,
होठों पर इठलाती है,
तब याद तुम्हारी हौले से,
इस दिल को फिर आ जाती है||
जब चाँद अपनी चाँदनी से,
पलकों पर ख्वाब सजाता है,
वो भी यूँ खामोशी स॓,
बस ख्वाब तेरे दे जाता है ||
–
Vinay Singh