ख्वाइश Fiction & Poetry ख्वाइश Anshul Singhal 8 years ago लो आज इन बाँहों की सारी तम्मनाए पूरी करने दो, इन सरसराती हुई आवाजों की सारी ख्वाइशें करने दो , मिले है, इतने दिन बाद... Read More