रूबरू
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बचपन से संझोये थे सपने,
मोतियों की तरह पिरोये थे सपने|
क्या पता था एक दिन हम भी बड़े होंगे,
जीवन की सचाई से हम भी रूबरू होंगे|
बचपन के वो हसीन पल आज भी याद आते है,
दिल को छू कर आँखे नम वो कर जाते है|
वो शैतानियों से भरे दिन आज भी याद आते है,
आज के ये खोखले दिन बड़े सताते हैं|
क्या पता था एक दिन हम भी बड़े होंगे,
जीवन की सच्चाई से हम भी रूबरू होंगे|
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